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अवैध तरीके से भूजल का दोहन करने वालों के सामने सब बेबस

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राजेश दास/ फरीदाबाद: अरावली पर्वत के साथ छेड़छाड़ की वजह से पहले ही जिला का पर्यावरण संतुलन तो बिगड़ ही चुका है। साथ ही भूजल स्तर गिरने से जिला डार्क जोन में शामिल हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद संबंधित विभाग जिला की दशा सुधारने में ध्यान नहीं दे रहे हैं। नगर निगम द्वारा सप्लाई किया जाने वाला पानी पीने योग्य नहीं है। लेकिन गर्मी के मौसम में तो इस पानी के लिए भी हा-हाकार मच जाता है। जिसका फायदा आम दिनों में तो पानी माफिया उठाते ही हैं, बल्कि गर्मी के मौसम में जमकर चांदी कूटते हैं। शहर की ज्यादा कालोनियां पेयजल के लिए टैंकरों पर ही निर्भर है। लेकिन माफिया द्वारा बड़े पैमान पर पानी का दोहर उद्योगों, निर्माण कार्य और अन्य कई तरह के कामों के लिए सप्लाई किया जाता है। वैसे तो जिले में पानी दोहन के सैंकड़ों अवैध ट्यूबवैल है। लेकिन पाली गांव के आसपास करीब दो दर्जन अवैध ट्यूबवैलों विदेशी मशीनों से चलाए जा रहे हैं। जिससे पाली में भूजलस्तर तेजी के साथ गिर रहा है। ग्रामीणों द्वारा पुलिस के साथ हरियाण जल संरक्षण प्राधिकरण से भी शिकायत की जा चुकी है। उपायुक्त के आदेश पर करीब पांच महीने पूर्व बिजली कनेक्शन कटने के बाद भी यह ट्यूबवैल चल रहे हैं।

कार्रवाई के बाद भी दोहन जारी

पाली गांव के ग्रामीण पानी माफियाओं की वजह से पिछले लंबे समय से परेशान चल रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पर्यावरण के साथ की गई छेड़छाड़ की वजह से जिले का भूजल स्तर काफी तेजी से गिर रहा है। ऐसे में पाली गांव की स्थिति भी काफी चिंताजनक है। लेकिन इसके बावजूद गांव में पानी बेचने का अवैध धंधा सरेआम चल रहा है। पानी माफियाओं ने यहां विदेशी मशीनों से बोर कर 20 अवैध ट्यूबवैल लगाए हुए हैं। इन ट्यूबवैलों को दिन रात चला कर लाखों लीटर पानी का रोज दोहन किया जाता है। माफिया पानी शहर की अवैध कालोनियों और कारखानों में बड़े बड़े टैंकरों और टै्रक्टर टैंकरों के माध्यम से सप्लाई कर रहे हैं। ग्रामीणों की शिकायत पर पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं की गई। जिसके कारण उन्होंने इसकी शिकायत हरियाणा जल संरक्षण प्राधिकरण से कर दी। प्राधिकरण द्वारा उपायुक्त को कार्रवाई के आदेश दिये थे। उपायुक्त के आदेश पर बिजली निगम दिसंबर 2022 में पाली गांव ट्यूबवैलों के कनेक्शन काट दिये थे। लेकिन कनेक्शन कटने के बाद भी गांव में अवैध ट्यूबवैल बदस्तूर चल रहे हैं।

धड़ल्ले से हो रहा पानी अवैध धंधा

पाली और अन्य गांवों में बोरिंग कर पानी के दोहन को दर्जनों ट्यूबवैल पानी माफिया द्वारा लगाए जा चुके हैं। इन ट्यूबवैलों पर पानी भरने के लिए दिनरात पानी के टैंकरों की लाइन लगी रहती है। जहां 100 से 200 रुपये प्रति टैंकर पानी भरकर बेचा जाता है। चालक इन टैंकरों को शहर की विभिन्न छोटी बड़ी कालोनियों में लाकर फुटकर में ढाई से तीन हजार रुपये प्रति टैंकर बेचते हैं। गली और मौहल्लों में घूम घूम कर पानी बेचने के चक्कर में यह टै्रक्टर टैंकर चालक लोगों को दुर्घटना का शिकार तक बना डालते हैं। वहीं दूसरी तरफ पानी के टैंकर कंपनियों में एक से दो हजार रुपये में माफिया द्वारा सप्लाई किए जाते हैं। अवैध रूप से दोहन कर पानी की तस्करी करने वाले इन माफियाओं के खिलाफ नगर निगम अथवा प्रशासन की तरफ से कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाती। इसके अलावा अवैध रूप से पानी के ट्यूबवैल चलाने वाले माफियाओं द्वारा पानी की पाइप लाइन डाल कर आसपास स्थित कॉलोनियों के घरों में भी पानी की सप्लाई की जा रही है।

लापरवाही का उठा रहे फायदे

नगर निगम की लापरवाही के कारण कुछ दंबग किस्म के लोग लगातार पानी के अवैध धंधे की तरफ अपने हाथ बड़ा रहे हैं। नगर निगम द्वारा वैसे तो जरूरत के हिसाब से पानी की आपूर्ति काफी कम की जाती है। लेकिन इसके साथ ही निगम जो पानी सप्लाई कर रहा है, वह पीने योग्य नहीं है। कई इलाकों में नगर निगम द्वारा मीठे पानी की आपूर्ति की ही नहीं जाती। यहां नमकीन और गंदा बदबूदार पानी सप्लाई किया जाता है। जिसका उपयोग पीना तो दूर लोग रोजमर्रा के कामों में भी इस्तेमाल नहीं कर पाते। जिसका फायदा पानी माफियाओं और टैंकरों चालकों द्वारा बाखूबी उठाया जा रहा है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर के लोगों ने पानी को लेकर नगर निगम कार्यालय में शिकायतें करनी शुरू कर दी थी। निगम द्वारा समस्या का समाधान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अवैध भूजल दोहन के खिलाफ पाली गांव के ग्रामीणों ने काफी समय से मोर्चा खोला हुआ है। करीब दो साल से ग्रामीण लगातार शिकायत कर रहे हैं। लेकिन संबंधित विभागों की मिलीभगत के कारण पानी का अवैध कारोबार दिन रात चल रहा है।

आदेशों का बनाया मजाक

सेव अरावली ट्रस्ट के सदस्य जितेंद्र भडाना का कहना है कि यदि इसी तरह से लगातार पानी का अवैध दोहन होता रहा तो आने वाले समय में लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। उन्होंने मामले की शिकायत जल संरक्षण प्राधिकरण से की थी। प्राधिकरण ने इस मामले में उपायुक्त को आदेश दिये थे। उपायुक्त के आदेश पर दिसंबर 2022 को ट्यूबवैलों के बिजली कनेक्शन काट दिये थे। लेकिन ट्यूबवैल आज भी चल रहे हैं।



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